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कोरोना में हमने सबक सीख लिया कि पंच महाभूत का संरक्षण आवश्यक, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन कार्यक्रम में भाग लिया

 कोरोना में हमने सबक सीख लिया कि पंच महाभूत का संरक्षण आवश्यक, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन कार्यक्रम में भाग लिया







      उज्जैन 10 दिसम्बर। त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी "सतत विकास-पर्यावरण एवं सामाजिक सदभाव के लिये पंच महाभूत" का समापन शनिवार 10 दिसम्बर को शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय में सम्पन्न हुई। संगोष्ठी के समापन अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोरोनाकाल में हमने सबक सीख लिया है कि पंच महाभूत का संरक्षण आवश्यक है। हम प्राचीन ज्ञान के साथ अर्वाचित ज्ञान को लेकर चलें और अपनी जड़ों से जुड़कर ही सतत विकास संभव है। त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी डॉ.बीआर अंबेडकर युनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस महू तथा शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी।


      संगोष्ठी में डॉ.बीआर अंबेडकर युनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस महू के कुलपति डॉ.डीके शर्मा ने कहा कि पंच महाभूत से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। इसके दोहन से विनाश निश्चित है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि पंच महाभूत हमारी संस्कृति के द्योतक हैं ही साथ ही पर्यावरण के घटक भी हैं। दीनदयाल रिसर्च इंस्टीट्यूट नईदिल्ली के जनरल सेक्रेटरी श्री अतुल जैन ने कहा कि धारणीय विकास की परिभाषा को समझना होगा। आवश्यकता अनुसार ही प्राकृति से हमें लेना चाहिये। जन-भागीदारी के अध्यक्ष श्री मयूर शाह ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा से सतत विकास संभव है। श्री हितेशशंकर ने कहा कि पंच महाभूत सृष्टि का शाश्वत है। संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्र हुए, जिसमें 18 प्रतिभागियों ने शोधपत्र का वाचन किया एवं सतत विकास पर्यावरण एवं सामाजिक सदभाव के लिये पंच महाभूत पर पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। विभाजन की विभिषिका अनकही कहानियों की डाक्यूमेंट्री का प्रदर्शन भी इस अवसर पर किया गया। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने इस अवसर पर श्री हितेशशंकर के द्वारा सम्पादित टीस और सीख पुस्तक का विमोचन भी किया। उच्च शिक्षा मंत्री ने इस अवसर पर जूलॉजिकल सोसायटी द्वारा पांच वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया गया, जो जुनियर एवं सीनियर वर्ग के थे। इसमें शासकीय माधव विज्ञान महाविद्यालय के फार्मास्युटिकल विभाग के अध्यक्ष डॉ.जीवनसिंह सोलंकी को भी पुरस्कृत किया गया। समापन अवसर पर श्रेष्ठ प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। सोनो टेक्नालॉजी की अत्यन्त महत्वपूर्ण वेब साइट का लोकार्पण भी मुख्य अतिथि के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 02 जीरो हंगर की गतिविधियों को समर्पित माधव विज्ञान महाविद्यालय का पोस्टर भी विमोचित किया गया। इस अवसर पर प्रवेश एवं शुल्क नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री आरआर कान्हेरे, मप्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के श्री भारतशरण सिंह एवं ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, बांग्लादेश, यूएसए, गया तथा अन्य राज्यों से आये विशेषज्ञों ने भी संगोष्ठी में शिरकत की।


      कार्यक्रम का संचालन डॉ.कल्पना सिंह ने किया और उद्घाटन सत्र का आभार उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ.अर्पण भारद्वाज द्वारा व्यक्त किया गया एवं समापन सत्र का आभार महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.वीके गुप्ता ने प्रकट किया।


क्रमांक 3216                                                                 उज्जैनिया/जोशी

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