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शीत लहर के प्रभाव से बचने के लिये बरते सावधानियां

 शीत लहर के प्रभाव से बचने के लिये बरते सावधानियां



 उज्जैन 09 दिसम्बर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय शर्मा ने बताया कि वर्तमान में शीत ऋतु में शीत-घात (शीत लहर) की वजह से अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें उत्पन्न हो सकती है। इन समस्याओं को समय से पूर्व बचाव कर लिया जायें तो इस प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है।


शीत लहर में जन-सामान्य को सलाह


स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए रेडियो,  टीवी एवं समाचार पत्र जैसे सभी मीडिया द्वारा जा रही जानकारी का अनुसरण करें। पर्याप्त मात्रा मे गर्म कपड़े पहनें। नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहें। शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू चलना, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षणों हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें। अल्प तापवस्था के लक्षण जैसे- सामान्य से कम शरीर का तापमान, न रूकने वाली कपकपी, याददास्त चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था का होना, जबान का लड़खडाना आदि प्रकट होने पर चिकित्सक से संपर्क कर उपचार प्राप्त करें।


 शीत लहर के समय क्या करें- पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे- दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जूते आदि पहने। शीतलहर के समय चुस्त कपड़े ना पहने यह रक्त संचार को कम करते है इसलिये हल्के ढीले-ढालें एवं सूती कपड़े  बाहर की तरफ एवं उनी कपड़े अंदर की तरफ पहने। शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो बाहर यात्रा करे। पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें ए शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म तरह पदार्थ अवश्य पीयें। अत्यधिक ठंड के समय दीर्घकालीन बीमारियों जैसे- डायबटीज, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी बीमािरयों वाले मरीज, वृद्ध पुरूष/महिलायें जिनकी आयु 64 वर्ष से अधिक, 06 वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाऐं आदि को ऐसी स्थिति में देखभाल करे। अधिक ठंड पड़ने पर पर्याप्त वेंटिलेशन होने पर ही रूप हीटर का उपयोग करें एवं बंद कमरे को गर्म करने के लिए कोयले का उपयोग न करें क्योंकि यह कोयला जलने पर कार्बन मोनोऑक्साईड उत्पन्न होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है जिससे किसी की मृत्यु हो सकती है। अधिक ठंड पड़ने प जहां तक संभव हो पालतू जानवरों को घर के अंदर ही रखें। अत्यधिक ठंड पड़ने से प्रभावित शरीर के हिस्से पर मालिश ना करें इससे अधिक नुकसान पड़ सकता है। शीत लहर में अधिक ठंड के लम्बे समय तक सम्पर्क में रहने से त्वचा कठोर एवं सुन्न कर सकती है। शरीर के अंगो जैसे- हाथ/पैर की उंगलियों, नाक एवं कान में लाल फफोले हो सकते है। शरीर के भाग के मृत हो जाने पर त्वचा का लाल रंग बदलकर काला हो सकता है। यह बहुत खतरनाक है और गैंग्रीन रोग कहा जाता है। इसके लिए तत्काल चिकित्सक से परामर्श ले।


क्रमांक 3207              उज्जैनिया/जोशी

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